HIV वायरस मुख्यतः तीन प्रकार से इंसान के अंदर आता है।
1 असुरक्षित यौन सम्बन्ध
2 संक्रमित सुई का इस्तेमाल करने से
3 जन्म के दौरान संक्रमित माँ से बच्चे में
इन सब में जो सबसे बड़ा कारण है वह एक से ज्यादा व्यक्ति के साथ शारीरिक सम्बन्ध है। आज के दौर में लड़के लड़कियां एक व्यक्ति से शारीरिक सम्बन्ध ना रखकर कई व्यक्तियों से सम्बन्ध बनाते हैं। ऐसा करना एड्स को सीधा सीधा निमंत्रण है।
पहले जब एलिजा टेस्ट होता था तो कोई डोनर जो एड्स के विंडो पीरियड में होता था वह शुरूआती जांच में पकड़ाई में नहीं आता था और हॉस्पिटल स्टाफ द्वारा संक्रमित खून ही जरूरतमंद मरीज को चढ़ा दिया जाता था। इस कारण से भी एड्स फैला है हालांकि अब ब्लड का स्क्रीनिंग टेस्ट या नेट टेस्टिंग होती है। जिसमें विंडो पीरियड का भी साफ साफ पता चल जाता है।
ऐसी ही स्तिथि संक्रमित माँ के साथ थी यदि पता ना चले कि जच्चा एड्स पीड़ित है तो यह बीमारी बच्चे में भी चली जाती थी। पहले बता दिए जाने पर हॉस्पिटल स्टाफ इसका पूरा ध्यान रखता है और बहुत हद तक जन्म देने पर भी माँ से बच्चे को HIV वायरस नहीं जाता है।
एड्स से जुड़ी भ्रांतियां बचाव व इलाज
हर एक बीमारी को लेकर जनमानस में कही प्रकार की भ्रांतियां फ़ैल जाती है। जैसे 80 के दशक में जब पहली बार इस बीमारी के बारे में पता चला तो लोगों में कहीं साड़ी अफवाहें फ़ैलने लगी।
1 लोग हाथ मिलाने से डरने लगे उन्हें लगा की HIV छूने से फैलता है। जब की एड्स स्किन तो स्किन होने की कोई संभावना मात्र नहीं है। किन्तु अफवाह के कारण HIV संक्रमित व्यक्ति को एक प्रकार दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा।
2 साथ में खाना खाने से या झूठा खाने से एड्स फैलता है। कुछ लोगों में यह भ्रांतियां भी फैली। जिन लोगों के घर में या रिश्तेदारी में HIV संक्रमित व्यक्ति होते थे। वे इस बात को लेकर बड़े भ्रमित थे। और पीड़ित व्यक्ति से एक प्रकार से दुराचार करते रहे।
3 तौलिया या अन्य चीज उपयोग करने से। कुछ लोगों को यह भी मानना था कि यदि एड्स पीड़ित व्यक्ति किसी चीज का उपयोग कर ले। तो उस चीज का प्रयोग किसी और को नहीं करना चाहिए इससे एड्स फैलता है। जबकि ऐसा कहीं कुछ नहीं है।
एड्स का कोई इलाज अभी तक सामने नहीं आया है इसके बचाव ही दरअसल इसका इलाज है। भ्रांतियों को दूर रखते हुए यदि एड्स पीड़ित व्यक्ति व उसके परिजन कुछ बातों को ध्यान रखे तो एड्स पीड़ित व्यक्ति भी काफी अच्छे से एक सामान्यः ज़िन्दगी जी सकता है।
1 सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एड्स पीड़ित व्यक्ति से यौन सम्बन्ध ना बनाये। इसके लिए जरूरी है कि यदि आप ऐसे व्यक्ति से रिश्ते कायम करने जा रहे हैं। जिससे आप परिचित नहीं है तो कंडोम का इस्तेमाल करें या अपने साथी से कंडोम का इस्तेमाल करवाएं। वरना आपका जीवन निश्चित रूप से खतरे में रहेगा। आपको एड्स होने की सम्भावना बन जाती है।
2 जब भी आप ब्लड का आदान प्रदान करें उसका स्क्रीनिंग टेस्ट करवाएं। स्क्रीनिंग टेस्ट में संक्रमित रक्त का बड़े ही आसानी से पता चल जाता है।
3 यदि HIV संक्रमित है तो इस बात को प्रेगनेंसी के वक्त डॉक्टर को अवश्य बता दें तथा प्रेगनेंसी पीरियड के दौरान डॉक्टर के बताये अनुसार खान पान का ध्यान रखे व डॉक्टर भी प्रेगनेंसी के वक्त आपका और आपके बच्चे का पूरा ख्याल रखेंगे।
यदि आप या आपका कोई करीबी HIV पॉजिटिव मिलता है तो पैनिक ना करें। क्योंकि पैनिक होने से कई नेगटिव थॉट्स दिमाग में आते हैं। ऐसे कही लोग है जो एचआइवी पॉजिटिव है फिर भी एक सामान्य जीवन जी रहे हैं। यदि एक बार मरीज के दिमाग में नेगेटिविटी फ़ैल गई तो स्तिथि और गंभीर हो जाती है। ऐसी स्तिथि में उस व्यक्ति की सेहत बद से बदतर होती चली जाती है। यदि व्यक्ति उचित खान पान रखे और शारीरिक गतिविधियां जारी रखे तथा समय पर एड्स रोगी को दी जाने वाली दवाइयां लेता रहे है तो वह लम्बे समय तक जीता है और एक सामान्य जीवन जीता है।
एड्स से सुरक्षा व सहायता के लिए हर गृह जिले में ART सेंटर बने हुए हैं। वहां HIV पॉजिटिव व्यक्ति को इस प्रकार की दवाइयां दी जाती है जो वायरल लोड को कम करती है साथ ही यदि उस व्यक्ति को कोई अन्य बीमारी होती है तो उससे उभारने में भी उसकी सहायता करती है।
संक्षेप
एड्स एक बीमारी है किसी प्रकार सामाजिक दाग धब्बा नहीं है। कोई भी रोगी यह बताने में हिचके नहीं कि वह HIV ग्रस्त है। उसकी यह थोड़ी सी सावधानी और खुलापन समाज में और भी जागरूकता लेकर आएगा।
एड्स की जागरूकता के लिए प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को एड्स जागरूकता दिवस भी मनाया जाता है। ताकि लोग एड्स जैसे लाइलाज बीमारी के प्रति जागरूक हों और जो भ्रांतियां लोगों के दिमाग में इस बिमारी को लेकर है उसे दूर कर सके।
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1 December बाद ही 2 दिसंबर को प्रदुषण नियंत्रण दिवस भी मनाया जाता है। प्रदुषण भी कहीं प्रकार की बिमारियों के लिए उत्तरदायी होता है। अतः आप इसके लिए भी सावधान रहे और लोगों में इसके प्रति भी जागरूकता फैलाएं।
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वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण देश की ही नहीं पूरे विश्व के सामने सबसे बड़ी समस्या है। यह भी पूरे विश्व के सामने एड्स की तरह लाइलाज हो गया है। बढ़ाते प्रदूषण से एक नहीं सैकड़ों बीमारियां होती है।
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अतः आप इस संसार में व्याप्त बीमारियों से ना केवल अपनी सुरक्षा करें बल्कि अपने परिवार व स्वजनों की भी रक्षा करें।